Description
सुप्रसिद्ध साहित्यकार कुसुम कुमार की नव्यतम औपन्यासिक कृति ‘मीठी नीम’ ऐसी मर्म स्पर्शी रचना है, जो रोचक एवं प्रेरक होने के साथ विचारोत्तेजक तथा बदलती ऋतुओं के मलय प्रसंगों की कहानी उपन्यास का मूल विषय पर्यावरण वस्तुतः हमारे बाहर और भीतर दोनों प्रकार के पर्यावरण का आद्यंतवर्णन सामने लाता है।उपन्यास की नायिका ओमना एक प्रतिबद्ध एवं परिपक्व स्त्री, जो अपने अनुभवों, क्षमताओं, अनामय, महामय को सहज व्यवहार में ढालती अपने यथार्थ और फिर उस यथार्थ के यथार्थ को अनावृत करती, अपनी इस गाथा को ऊंचाई, ऊष्मा तथा गरिमा प्रदान करती है। ‘मीठी नीम’ की कहानी में दर्द है, जो अंततः दवाब न जाने की क्षमता रखता है, पानी के बुलबुलों से नाजूक, रिश्तेदारी, यहां किसी शास्त्र की विद्या हो उठती है। इसी कथा कृति में उपन्यास की भाषा ने किन्हीं मूर्तियों पर छेनी-हथौड़ी का काम किया है।
कुसुम जी ने साहित्य की अनेक विधाओं में निरंतर सृजन किया है। आप बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं।