Description
नोबेल विजेता इसाक बोशेविक सिंगर कह गए हैं कि ‘किसी लेखक की भूमिका संपूर्ण रूप से आत्मा के मनोरंजनकर्ता की हो सकती है, न कि सामाजिक, राजनीतिक आदर्शों के उपदेशक की। किसी भी सच्ची कला की तरह लेखक का कर्तव्य पाठक को आनंदित करना है, न कि ऊब भरी जम्हाइयाँ लेने को मजबूर करना।’ सिंगर का यह कथन याद आया था सिंबर, 2000 में चैतन्य त्रिवेदी को उत्कृष्ट लघुकथा लेखन के लिए ‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान’ मिलने पर। इस सम्मान से ‘लघुकथा’ विधा के रूप में प्रतिष्ठित भी हो गई।
‘उल्लास’ संग्रह की ‘खुलता बंद घर’ एवं ‘जूते और कालीन’ के जरिए चैतन्य त्रिवेदी के लघुकथा सृजन की गई ऊँचाइयों पर बात करत सकते हैं। कविता, कहानी और व्यंग्य को फेंटकर चैतन्य अपनी लघुकथाओं को सबसे अलग खड़ा कर लेते हैं। इन कथाओं में एक व्यक्ति, अपनी स्वतंत्र चेतना के साथ निरंतर निरुपाय परिस्थितियों का सामना करता जान पड़ता है। पाठक को एक अतिरिक्त आस्वाद के साथ आत्ममनोरंजन भी प्राप्त हो सके ऐसा प्रयास करती हैं ये लघुकथाएं। सार्थक साहित्य का पैमाना भी यही है कि वह कागज पर संपन्न होने के बाद पाठक के मन में फिर से शुरू हो और कुछ नया रचे। कुछ ऐसा भी चैतन्य के इस नए लघुकथा संग्रह कथा की अफवाह में पाएंगे।
-भूमिका से
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