Description
यह उपन्यास है…
उस हौसले और हिम्मत के लिए,
जो अपने हक के लिए लड़ती है…
उस आदिम, जीवट,
अथक संघर्षशीलता के लिए…
उस इनकलाबी भावना के लिए,
जो हर दौर में जिंदा होती है…
सत्ता पोषित हिंसा के खिलाफ…
जन-विमुख, भ्रष्ट सत्ता और
कॉरपोरेट गठबंधन के खिलाफ…
उस आततायी सत्ता के खिलाफ…
जो सोनी सोरी जैसों के खिलाफ
घृणित षड्यंत्र रचती है!
निर्धन, निहत्थे, शांतिप्रिय आदिम
मनुष्यों का संहार करने वाली
राजनीति के खिलाफ…!
प्रस्तुत उपन्यास अर्ध गल्प और अर्ध समकालीन यथार्थ! क्योंकि चाहे कथा और पात्र काल्पनिक हों, कुछ घटनाएँ वास्तविकता पर आधारित हैं। पहाड़-पानी और वन एवं भूमि सहित सामान्य मनुष्यों पर बलपूर्वक अधिकार करना अनैतिक है। केवल आम जन के समसामयिक उत्पीड़न को व्यक्त करना और ऐसे हिंड्ड कृत्यों की निंदा करना ही इस रचना का एकमात्र ध्येय है। जनजातीय समुदायों, मूलवासियों और आदिम संस्कृतियों पर इस दौर में हो रहे सत्ता-पोषित दमन का प्रतिवाद करना प्रत्येक विवेकशील नागरिक का कर्तव्य है। यह गद्य-पुस्तक सर्वमान्य मानवाधिकारों, सच्चे लोकतंत्र के पक्ष में और मनुष्य की स्वतंत्रता के हनन के सभी प्रकार के कृत्यों के विरुद्ध है।