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Dr. Vidyaniwas Mishr Ke Nibandhon Mein Sanskritik Chetna

550.00 468.00

ISBN : 978-93-93014-68-9
Edition: 2024
Pages: 250
Language: Hindi
Format: Hardcover
Author : Dr. Kavita Verma

Availability: 3 in stock

Categories: ,

हजारीप्रसादोत्तरीय ललित निबंध परंपरा को नई दिशा एवं गति प्रदान करने वाले डॉ. विद्यानिवास मिश्र के रचना संसार की पृष्ठभूमि भारत की भव्य संस्कृतिक परंपरा है। उनके व्यक्तित्व एवं चिंतन पर भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का गहरा प्रभाव है। उन्होंने सांस्कृति को व्यापक संदर्भों में पुनरीक्षित कर उसे वैश्विक आयाम दिया है। संस्कृति, लोकसंस्कृति, आधुनिकता, परंपरा का सामरस्य उनके साहित्य में मिलता है। अतएव उनके निबंधों में अभिव्यक्त सांस्कृतिक चेतना को समझने का प्रयास प्रस्तुत शोध प्रबंध में किया गया है। शुक्लोत्तर निबंध परंपरा में डॉ. विद्यानिवास मिश्र एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही उदात्त प्रेरणा देने की क्षमता रऽते हैं, वे ऐसे विशिष्ट सर्जक हैं जिनकी सर्जनात्मकता उदात्त जीवन मूल्यों, रिक्त होती संवेदना और सहजता को तलाशती है। वस्तुतः वर्तमान समय में जब भारतीय जीवन के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार, नैतिकविहीनता का साम्राज्य बढ़ रहा है, मूल्यों के क्षरण के कारण पतन की ओर उन्मुख युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है। भारतीय सामाजिक जीवन भौतिक प्रधान सभ्यता एवं संस्कृति तथा यांत्रिक आकर्षणों के प्रति उन्मुख की ओर अग्रसर है मूल्यहीनता के इस अंधकार में डॉ. मिश्र के निबंध जीवन का प्रकाश दिखाने का प्रयास करते हुए भारतीय भावधारा से जुड़ने का आ“वान करते हैं। भारतीय जीवन के आत्मिक कल्याण एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध डॉ. मिश्र का निबंध साहित्य जीवन में ‘शिवम्’ की प्रतिष्ठा करता है। अतएव निबंध साहित्य के इस विशेष अध्ययन की प्रेरणा के मूल में इसी आकर्षण की भूमिका रही है।

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