मानव जीवन के लिए धार्मिक आस्था व संस्कार दोनों आवश्यक हैं। स्त्रियाँ धर्म के पाखंडी व शोषक स्वरूप का विभिन्न माध्यमों से ज़ोर-शोर से विरोध कर रही हैं।इस पुस्तक में पढ़िए : अधिकतर धर्म कैसे पोषित होता है? प्रख्यात लेखिका तसलीमान सरीन ने क्यों कहा है, ‘कुरान शुड बीरिवाइज़्ड?’ समाज में वर्ग भेद का आधार पौराणिक पृष्ठभूमि भी है।क्या उसका आधुनिकीकरण आवश्यक है? गीता के दसवें अध्याय में स्त्री में अपनी सात विभूतियों की चर्चा करने वाले कृष्ण स्वयं क्या थे? सती के चैरोंव मेलों पर क्यों प्रतिबंध लगना चाहिए? लड़कियों को कैसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए? दक्षिण भारत में स्त्री के गले में पहना एक पोटु (पेंडेंट) वाला मंगल सूत्र उसके शरीर तक जाने का रास्ता था।जैन धर्म में भी माना गया है कि पूर्व जन्म में जो कुछ बुरे कार्य करता है, वही स्त्री के रूप में पैदा होता है।परिवार को त्याग कर मोक्ष की चाह में भटकना अधिक कठिन है या गृहस्थी का संचालन करना?दुनिया को अपनी दृष्टि से देखती स्त्री क्यों स्वीकार करे पौराणिक स्त्री-चरित्रों जैसी नियति?
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Dharm Ke Aar-paar Aurat
₹450.00 ₹300.00
ISBN: 978-93-80146-79-9
Edition: 2010
Pages: 296
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Ed. Neelam Kulshreshtha
Category: Articles
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