भारतीय वाड्मय का एक बहुत बड़ा भाग चार महास्तंभों पर आश्रित है। वे हैं: रामायण, महाभारत, पुराण और बड्ढकहा (बृहत्कथा)। सभी भारतीय भाषाओं के रचनाकारों ने आदिकाव्य रामायण, जयकाव्य महाभारत और पुराणों को अपना उपजीव्य बनाया हैं संस्कृति और प्राकृत भाषाओं का पर्याप्त वाड्मय ‘बड्ढकहा’ पर भी आश्रित है। अतः इन चार महास्तंभों का सम्यक् परिचय प्राप्त किये बिना भारतीय वाड्मय का सुचारु अध्ययन संभव नहीं। इस बात को तो लोग प्रायः स्वीकृत कर लेते हैं कि भारतीय वाड्मय भवन का बहुत बड़ा भाग इन चार स्तंभों पर टिका है पर ये महास्तंभ किस ‘घातु’ के बने हैं, यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। इस पुस्तिका में उस धातु का परिचय कराने का विनम्र प्रयास है। वह धातु क्या है और उसका उद्गम स्थान कहां है, यह भी बताने का प्रयास किया गया है।
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भारतीय वाड्मय पर दिव्यदृष्टि / Bhartiya Vangmay Per Divyadrishti
₹400.00 ₹340.00
ISBN: 978-93-84788-15-5
Edition: 2016
Pages: 256
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Kashi Ram Sharma
Category: Culture
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