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Bhartiya Sahitya Per Mahabharat ka Prabhav

275.00 220.00

ISBN: 978-81-89982-23-2
Edition: 2011
Pages: 212
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Dr. Chandrakant Bandiwadekar

Category:
भारतीय साहित्य पर महाभारत का प्रभाव
‘रामायण’ और ‘महाभारत’ भारतीय सभ्यता और संस्कृति के मूलाधार हैं। जीवन के आदर्श और यथार्थ का इतना व्यापक और विश्वसनीय अनुभव विश्व में अन्यत्र असंभव है। इनमें जहाँ पूर्ववर्ती गतिशील मनीषा का अक्षय कोष है, वहीं पर परवर्ती चिंतन-सरणियों को प्रेरित और प्रभावित करने की विलक्षण क्षमता है।
‘महाभारत’ के संबंध में कहा जाता है–“जो महाभारत में नहीं है, वह भारत में भी नहीं है।” अर्थात् भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक आदि विशेषताओं का सर्वस्व ‘महाभारत’ में विद्यमान है। लोककथाओं से लेकर शिष्ट साहित्य की विविध विधाओं तक ‘महाभारत’ के जीवंत प्रतिबिंब को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
‘गीता’ के आध्यात्मिक चिंतन से लेकर विभिन्न सामाजिक घटनाओं और पात्रों से सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य ने अपना उपजीव्य ग्रहण किया है। मिथकीय संभावनाओं की व्यापकता के कारण भारतीय साहित्य की विभिन्न विधाओं में युगबोधी संवेदना को अभिव्यक्त करने के लिए प्रभूत लेखन किया गया है।
‘महाभारत’ पर आधारित विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्य को जाँचने-परखने पर यह रोचक तथ्य सामने आता है कि इस विपुल लेखन में भौगोलिक अंतराल और भाषा-भेद के होने पर भी हमारी चिंतन धारा में अद्भुत समता है। यह हमारी सांस्कृतिक एकता और भावात्मक अखंडता का प्रमाण है।
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