Description
किस्से, कथा, कहानियों से पृथक, लघुकथा के अपने कलेवर, तेवर, प्रारूप, और मानक होते हैं। यही कारण है कि साहित्य-विधा में लघुकथा का एक विशिष्ट स्थान है। निशा भास्कर जी का लघुकथा संग्रह बरिश की बूँदें में कुल 84 लघुकथायें संकलित हैं। जिनमें भावनाओं के इंद्रधनुष, विचारों की गहनता, विसंगतियों के विक्षोभ स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होते हैं। आपकी कलम ने पारिवारिक, सामाजिक, बाल मनोविज्ञान, स्त्री-व्यथा, आध्यात्म, जैसे विषय को लघुकथा में समाहित किये हैं। हर लघुकथा स्वयं में अनोखी और अनूठी है। लघुकथाओं में विषयगत संवेदनायें, चितन, परामर्श, समस्यायें, और कहीं कहीं उनके निराकरण की झलक परिलक्षित होती है। शब्द-संचयन, कथा-शिल्प, शैली, संवाद, वाक्य-विन्यास लघुकथा पर अपना प्रभाव स्थापित किये हुए हैं। भावनाओं का विस्तार अदभुत है। पाठक के मन में विसंगतियों के प्रति चेतनता जगाती विमर्श हेतु बहुत कुछ कहकर भी अनकहा छोड़ देती है। लेखन की यही तो विशेषता है, जिसे लेखिका ने नितांत सहजता से लघुकथाओं में उतारा है।