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Australia Se Rekha Rajvanshi ki Kahaniyana

300.00 255.00

ISBN : 978-93-89663-16-7
Edition: 2021
Pages: 144
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Rekha Rajvanshi

5 in stock

Category:

Description

मुझे तो लगा कि अभी उसकी रिवॉल्वर से निकली गोली मेरी पीठ में लगेगी या धारदार छुरे से वह मुझे मारने की कोशिश करेगा। पर शायद उसके दोस्त ने रोका होगा। मोटरसाइकिल की तेज आवाज मेरा पीछा करने लगी, मैं भागकर फत्ते चाचा की टेलरिग की दुकान में घुस गई। मोटरसाइकिल दुकान के सामने रुकी, वो चिल्लाया, फ्बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी। बहुत गुमान है न तुझे खुद पर, देखना कैसे तेरा सारा घमंड निकालूँगा।य्
मोटरसाइकिल की आवाज दूर हो गई। फत्ते चाचा ने मुझे देखा। उनकी आँखों में एक दर्द उभर आया। कुछ पूछा नहीं क्योंकि ऐसी स्थिति में सब कुछ सबको पता ही होता है। उठ के आए और धीरे से बोले, फ्चल, तुझे घर तक छोड़ आऊँ।य्
वे रास्ते में कुछ भी नहीं बोले। चौकन्ने जरूर रहे। मुझे सुरक्षित घर पहुँचाकर वापस जाते-जाते
पिता जी से सिर्फ इतना कहा, फ्ध्यान रखना बिटिया का। जमींदार का लड़का पीछे पड़ गया है। जल्दी शादी क्यों नहीं कर देते।य्
बाबू बिना कुछ पूछे सब समझ गए, बोले,
फ्बस पंद्रह दिन की बात है फत्ते भाई। सोना की पढ़ाई पूरी हो जाएगी। फिर तीन महीने में शादी करनी ही है।य्
फत्ते चाचा ने सिर्फ यही कहा, फ्तब तक छोटे के साथ भेजना इसे।य्
मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ। बिस्तर में जाकर फूट-फूटकर रोने लगी।
-‘बिना धड़ की भूतनी’ कहानी से

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