हिंदी में लंबे समय से अनुवाद कर्म करने के बावजूद हम अनुवाद को भाषायी गतिविधियों से सकारात्मक और सर्जनात्मक ढंग से जोड़ने में बहुत सफल नहीं हो पाए हैं। अनुवाद के माध्यम से हिंदी की अभिव्यक्ति की सहजता से, उसकी बोजिलयों की अपनी कमाई हुई शब्दावली और भंगिमाओं से, जीवन संदर्भों की निकटता से जोड़ते हुए भाषायी पैनेपन को निखार नहीं पाए हैं।
प्रस्तुत पुस्तक हिंदी भाषा-संस्कृति के इन्हीं व्यापक सरोकारों से संबंधित है।
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Anuvaad Aur bhaashik Sanskriti Hindi Ke Prayojanparak Sandarbh
₹325.00 ₹276.25
ISBN: 978-81-89982-36-2
Edition: 2010
Pages: 220
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Prof. Dr. Rita Rani Paliwal
Category: Languages