Description
यह पुस्तक आजादी के बाद उत्पन्न राष्ट्रभाषा की बहुचर्चित समस्या को निराले अंदाज में उठाती हैं डाॅ. श्रोत्रिय समस्या की तह तक गए हैं। उन्होंने हिन्दी से संबंधित लगीाग सभी पक्षों को छुआ है। आज जब भारत में अंग्रेजी का दबदबा बढ़ता जा रहा है, यह पुस्तक हमें इससे उत्पन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खतरों से सावधान करती है।
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