Description
सुविख्यात हिंदी साहित्यकार माधव कौशिक का नवीनतम नवगीत संग्रह ‘आवाज़ें खामोश खड़ी हैं’ की सभी रचनाओं में समकालीन समाज व समय अपनी संपूर्ण जटिलता तथा विविधता के साथ विद्यमान है। वैसे तो काव्य की सभी विधाओं का अपना महत्त्व तथा अपनी गरिमा है। प्रत्येक विधा में रचनाकारों ने अपने मनोभावों को पूरी ईमानदारी के साथ अभिव्यक्त किया है, किंतु भारतीय परिवेश तथा परंपरा में गीत को अधिक लोकप्रिय तथा सर्वमान्य काव्य विधा होने का गौरव प्राप्त है। वैसे भी गीति-काव्य की निजता_ गेयता तथा माधुर्य जैसी विशिष्टताएं उसे अन्य काव्य विधाओं से अधिक पठनीय_ आत्मीय तथा प्रशंसनीय बनाने में सफल रही हैं।
इस संग्रह के नवगीत वैयक्तिक संवेदनाओं तथा भावनाओं को ही वाणी प्रदान नहीं करते अपितु वे युगीन यथार्थ तथा समय के कटु सत्यों को प्रभावशाली ढंग से विवेचित और विश्लेषित करते हैं। इसलिए समकालीन नवगीत की संवेदना परिधि का विस्तार समय की जटिलता के साथ दिनो दिन बढ़ता जा रहा है। अब निजता का स्थान सामाजिकता ने ले लिया है। फिर भी नवगीत ने अपना माधुर्य तथा भाषायी रचाव लयात्मकता तथा छंद के जादू से सुरक्षित रखा है। यही वजह है कि दुर्भावनापूर्ण साहित्यिक वातावरण में भी नवगीत सदा की तरह आज भी फल-फूल रहा है।
समकालीन नवगीत ने समय तथा समाज के तमाम तनावों तथा दबावों को पूरी शिद्दत से अभिव्यक्त किया है। भूमंडलीकरण तथा बाजारवाद की चपेट में आए ईमानदार इन्सानों की आह और कराह को सही परिप्रेक्ष्य में दर्ज किया है। भौतिकवाद की अंधी दौड़ में मानव-मूल्य लुप्त होते जा रहे हैं। पूरा समाज संवेदनशून्यता के निचले स्तरों तक पहुंच गया है।
इन सारी स्थितियों का जितना मार्मिक_ आत्मीय तथा यथार्थ चित्रण नवगीतों में हुआ है_ उतना अन्य किसी विधा में नहीं। समाज की सभी विसंगतियों तथा विद्रूपताओं के यथार्थ अंकन के साथ-साथ मानव-मन के सूक्ष्म मनोभावों_ संवेगों_ उसकी आशा-निराशा_ संताप_ संत्रस तथा सपनों को भी वाणी प्रदान करने में नवगीत, कविता से सौ कदम आगे रहा है। जीवन और जगत् की कड़वी सच्चाई को बयान करते हुए भी भाषा और शिल्प का रचाव नवगीत की कलात्मकता के दुर्ग की रक्षा करता है। यही कारण है कि नवगीत की पठनीयता तथा संप्रेषण क्षमता पहले की तरह बरकरार है। भारतीय परिवेश की गरिमा-महिमा तथा लोक संस्कृति की सुवास को अपने अंतर में समेटे आज का नवगीत स्पेस-एज की सारी संवेदनाओं तथा संकल्पनाओं को प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत कर रहा है। परिस्थितियां जितनी जटिल होती जा रही हैं_ नवगीत उतना ही संशलिष्ट। यह नवगीत संग्रह रचनाकार की आस्था तथा संघर्षशीलता का जीवंत प्रमाण है।