मुझको न कुछ टोटा रहा
खुश हूं न कुछ खोटा रहा,
मुझको बड़ा सन्तोष है
मैं उम्र भर छोटा रहा।
*
चले साथ का
खास अहसास लेकर
मुड़ें आप, मैं भी नये मोड़ को लूं!
*
नदी से बिछुड़ कर
लहर सोचती है
न क्यों रेत से आज मुंह-हाथ धोलूं!
*
केवल
गहरे संवेदन ही
धड़कन देते हैं,
वरना मुखड़ा कांच खिलौना
अक्सर होता है।
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समय की रोशनी में / Samay ki Roshni Mein (PB)
₹300.00 ₹270.00
ISBN: 978-93-83233-66-3
Edition: 2016
Pages: 152
Language: Hindi
Format: Paperback
Author : Raj Narain Bisaria
Category: Paperback