यह अनायास नहीं है कि पूरे संग्रह में कई रचनाएँ गाँधी जी पर केंद्रित हैं । आज़ादी के बाद इस देश का जो राजनितिक अर्थशास्त्र रहा है, उसे समझने के लिए गांधी के नाम पर चले गांधीवाद के छद्म को समझना जरुरी है । गांधीवाद जीवनशैली बनने के बजाय एक ऐसी फिलॉसफी हो लिया है, जिसमें माल काटने की अब भरपूर गुंजाइश है ।
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खादी में पाॅलिएस्टर / Khaadi Mein Polyester
₹260.00 ₹221.00
ISBN: 978-81-88466-22-1
Edition: 2010
Pages: 158
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Rajendra Tyagi
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