Description
जनवरी, 1873। ब्रिटिश-भारत की राजधानी कलकत्ता।
महर्षि अपने मत और सिद्धान्तों का स्थान-स्थान पर प्रचार करते हुए यहां आए।
अंग्रेज सरकार महर्षि की लोकप्रियता का समाचार पहले ही प्राप्त कर चुकी थी, साथ ही उन्हें यह भी ज्ञात हो चुका था कि महर्षि जहां कहीं भी जाते हैं, उनके प्रवचनों को असंख्य लोग बड़ी श्रद्धा से सुनत हैं।
महर्षि के कलकत्ता आने की खबर जान तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड नाॅर्थबु्रक ने उनसे मिलने की पेशकश की।
महर्षि ने भी उनसे मिलना स्वीकार कर लिया।
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