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यहीं कहीं होती थी जिंदगी / Yahin Kahin Hoti Thi Zindagi

300.00 255.00

ISBN : 978-93-81467-84-8
Edition: 2017
Pages: 184
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Ajeet Kaur

Category:
अजीत कौर की अपनी एक खास ‘कहन’ है जिसके कारण  उनकी कहानियां बहुत सादगी के साथ व्यक्त होती है और पाठकों की संवेदना में स्थान बना लेती हैं। ‘यहीं कहीं होती थी जिंदगी’ उनका नया कहानी संग्रह है। पंजाबी से हिंदी में अनूदित ये कहानियां विषयवस्तु की दृष्टि से नयापन लिए हैं  और शिल्प के एतबार से पाठक को अजब सी राहत देती हैं।
अजीत कौर मूलत: मानवीय नियति की रचनाकार हैं। समय की संधियों-दुरभिसंधियों में फंसा सुख-दुख या दिनमान उनकी रचनाओं में कई कथास्थितियों के बहाने आता है । बेहद ज़हीन तरीके से वे व्यवस्था, प्रेम परिवार राष्ट्रीयता  और निजता के सवालों से दो-चार होती है। संग्रह की पहली कहानी ‘गर्दन पर खुखरी’ हिंसक व्यवस्था पर टिप्पणी है। ‘दूसरी दुनिया’ में मरणशील जीवन का संताप हैं। इसी तरह ‘मरण रुत’ में अकाल की छाया है। ‘युधिष्ठिर’ एक पुराख्यान की स्मृति जगाती रचना है। ‘आवाज सिर्फ केतली  की’, ‘धूप वाला शहर’, ‘कटी लकीरें टूटे त्रिकोण’ व्यक्ति मन के अजाने रहस्य खोलती रचनाएं हैं।
‘यहीँ कहीं होती थी जिदंगी’ एक लंबी रचना है। विकास को परिभाषा को सवालों से घेरती। बहुत तीखे निष्कर्ष निकालती। अत्यंत पठनीय।  ‘जग जारी है’ और ‘बिल्लियों वाली कोठरी’ में जीवन को विचित्र स्थितियों से लेकर आतंकवाद की परछाइयां तक पढी जा सकती हैं।
यह एक महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह है न केवल पठनीयता से समृद्ध है बल्कि एक दार्शनिक वैचारिक संपदा से भी संपन्न हैं। अजीत कौर की रचनात्मक सुघड़ता तो सर्वोपरि है ही।
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