Description
उस दिन शाम को उसने मुझसे खुब झगड़ा किया था। बेटी के साथ मिलकर। मेरी दूसरी बहन इंदु की टिकान को लेकर। इधर कुछ वर्षों सो जब भी मेरी बहनें या उनके परिवारों के सदस्य मेरे शहर आया करते, मैं उन्हें अपने घर लाने की बजाय अपने क्लब के गेस्ट हाउस में ठहरा दिया करता।
‘आज इंदु जीजी को बाजार में देखा!’ पत्नी गुस्से से लाल-पीली हुई जा रही है-‘तुम्हारे ड्राइवर के साथ।’
-इसी संग्रह की ‘मुरदा दिल’ कहानी से