Description
संसार में सिख धर्म सर्वाधुनिक और विशिष्ट है। सिख गुरु साहिबान के चिन्तन में मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष का समावेश सहज दृष्टिगोचर है। गुरु साहिबान ने अपने चिन्तन के केंद्र में परमात्मा को सदैव रख। जीवन के समस्त प्रश्नों को उन्होंने इस केंद्र से ही निस्तारित किया। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में अंकित अपनी वाणी में गुरु रामदास जी ने कहा कि सारा संसार परमात्मा के खेत की तरह है। सभी जीवों को परमात्मा ने इसमें खेती करने हेतु भेजा है। सभी स्वेच्छा से खेती कर रहे हैं किन्तु उपज परमात्मा की इच्छा से ही प्राप्त होती है। गुरु साहिबान के परमात्मा के निराकार स्वरूप और सर्वव्यापकता के दार्शनिक तत्त्व ने मनुष्य और परमात्मा में निकटतम सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य किया। फलस्वरूप मनुष्य के व्यक्तित्त्व ही नही सामाजिक आकाश पर भी परमात्मा नियामक सत्ता के रूप में प्रकट हुआ। जीवन के किसी भी आयाम को परमात्मा से भिन्न कर के देखना असम्भव हो गया। सिख समाज का चिन्तन परमात्मा से ही आरंभ और सम्पन्न होता है।