यह किताब हमारे समय के एक बड़े रचनाकार शंकर शेष के नाट्यकर्म का आलोचनात्मक विमर्श है। नए विचार और शास्त्र इस नाट्य-विमर्श की धार बनते हैं। हेमंत कुकरेती ने शंकर शेष के नाटकों को समझने के लिए ढांचागत आलोचना-पद्धति को अपर्याप्त सिद्ध करते हुए ऐसी नाट्यालोचना का प्रारूप निर्मित किया है, जो अपने विश्लेषण में अचूक और विश्वसनीय है। शोध के अनुशासन में रूपाकार लेता यह विवेचन जहां नाटक के माध्यम से मुठभेड़ करता है वहीं शंकर शेष के बहाने उनके समय और समाज में जीवित मनुष्य के जीवन के नाटक के सत्य को उजागर कर देता है।
-अनिल कुमार
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Shankar Shesh Ke Naatakon Mein Sangharsh Chetna
₹280.00 ₹212.50
ISBN: 978-81-89982-18-8
Edition: 2009
Pages: 228
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Hemant Kukreti
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