Description
यह संकलन राजेन्द्र यादव के साक्षात्कारों का संकलन नहीं, उनके संवादों का संकलन है। अब यह बात अलग है कि इस संकलन में आपको राजेन्द्र यादव का साक्षात्$कार हो जाए और संवाद से अधिक इसमें आपको विवाद मिलें।
इस संकलन में अधिकांश बातचीत या संवाद राजेन्द्र यादव के मित्रों के साथ है। मित्रों के साथ होते हुए भी ये संवाद कम, विवाद ज्यादा लगते हैं। दरअसल राजेन्द्र यादव विवादप्रिय ही नहीं, विवादशील व्यक्ति हैं। विवादहीनता की स्थिति इनके लिए अत्यंत बोरियत का ममाला हो जाया करती है, अतः बहस करना इनका प्रिय शगल है। मित्रों का तो यह मानना है कि ये विवाद करते ही नहीं, रचते भी हैं।
इस संकलन में जो बातचीत दर्ज है, उसके केंद्र में लेखक राजेन्द्र यादव और व्यक्ति राजेन्द्र यादव दोनों ही हैं। बल्कि अकसर आप यह पाएंगे कि बात राजेन्द्र यादव से शुरू होती है और व्यक्ति राजेन्द्र यादव पर आकर टिक जाती है। राजेन्द्र यादव स्वयं भी इन दोनों में फर्क करने के विशेष इच्छुक नहीं दिखते।
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