बुक्स हिंदी 

Sale!

नरक दर नरक / Narak dar Narak

300.00 240.00

ISBN : 978-81-89859-09-1
Edition: 2013
Pages: 144
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Mamta Kaliya

Category:

मेरे लिए यह विस्मय की बात है कि मेरी कुछ पुस्तकें पिछले तीस पैंतीस वर्ष से जीवित हैं अर्थात् पढ़ी जा रही हैं, उन पर शोध हो रहे हैं और कभी देश के किसी कोने से कोई पत्र या फोन पहुँच जाता है कि आपने ‘बेघर’ उपन्यास में संजीवनी को इतना ट्रेजिक पात्र क्यों बनाया या यह कि ‘नरक दर नरक’ क्या आपके अपने जीवन पर लिखा गया उपन्यास है ? पिछले दिनों कलकत्ते में एक दिन कवि एकान्त श्रीवास्तव का फोन आया कि ‘ममता जी, हमने ‘नरक दर नरक’। मेरा और मेरी पत्नी मंजुल का मानना है कि आपने हमारी कहानी लिख दी है। ऐसा कैसे हुआ ?’ मुझे एकान्त की बात से खुशी और आश्चर्य के साथ-साथ आश्वस्ति भी हुई। पढ़ो तो लगे जैसे झेला हुआ और झेलो तो लगे जैसे पढ़ा हुआ, इससे बढ़कर यथार्थवाद की कसौटी और क्या हो सकती है ? एकान्त समझ सकते हैं कि पिछले तीस वर्षों में, आजाद हिंदुस्तान में युवा वर्ग की जीवन-स्थितियाँ की यांत्रिक स्पर्धा तालमेल के तनाव और स्वप्नों के टूटते तारे। इन सबके बीच अपनी परस्परता बचाए रखना प्रेमियों के लिए वास्तव में चुनौती की तरह आता है।

यही रही है ‘नरक दर नरक’ लिखने की पृष्ठभूमि तथा प्रेरणा। जीवन की उथल-पुथल में उसका उत्स छुपा है। कल्पना और यथार्थ की लुका-छिपी एक बार चली तो इसमें औरों का जीवन संघर्ष भी शामिल होता गया। ‘नरक दर नरक’ 1975 में लिखा और उसी वर्ष के अंत तक यह प्रकाशित हो गया।

Home
Account
Cart
Search
×

Hello!

Click one of our contacts below to chat on WhatsApp

× How can I help you?