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मीडिया और हिंदी साहित्य / Media Aur Hindi Sahitya

250.00 212.50

ISBN: 978-93-80146-42-3
Edition: 2014
Pages: 152
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Ed. Raj Kishore

Category:

मीडिया और साहित्य का रिश्ता बिगड़ चुका है। इसमें संदेह नहीं कि आदर्श या लक्ष्य की दृष्टि से दोनों की मूल संवेदना एक है। दोनों का लक्ष्य मनुष्य को शिक्षित करना और सभ्यता के स्तर को ऊँचा उठाना है। दोनों भाषा में ही काम करते हैं, जो एक सामाजिक घटना है। इसके बावजूद आज मीडिया और साहित्य के बीच गहरी होती हुई खाई दिखाई देती है। यह खाई चिंताजनक इसलिए है कि मीडिया की पैठ और लोकप्रियता अधिक होने के कारण जनसाधारण के संस्कारों और रुचियों का सम्यक् विकास नहीं हो पाता। दूसरी तरफ, साहित्य की दुनिया संकुचित होती जाती है और उसकी संवेदना का सामाजिक विस्तार नहीं हो पाता। इस तरह, संस्कृति की दुहरी क्षति होती है।… जहाँ तक साहित्य और मीडिया के रिश्ते का सवाल है, हिंदी का मामला न केवल कुछ ज्यादा निराशाजनक है, बल्कि ज्यादा पेचीदा भी है। साधारण जनता से सीधे जुडे़ होने के कारण हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की सामाजिक जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। संस्कृति की दृष्टि से हिंदी का संसार एक विकासमान संसार है। हिंदी प्रदेशों में साक्षरता का स्तर हाल ही में बढ़ा है और पढ़ने तथा जानने की भूख जगी है। मीडिया का काम इस भूख को सुरुचि-संपन्नता के साथ तृप्त करना है और व्यक्ति के सामाजिक तथा सांस्कृतिक सरोकारों को मजबूत करना है। कुछ समय पहले तक स्थिति जैसी भी थी, बहुत अधिक असंतोषजनक नहीं थी। मीडिया में लेखकों का मान था और साहित्य के लिए कुछ सम्मानजनक स्थान हमेशा सुरक्षित रहता था, लेकिन आज नौबत यह है कि दोनों के बीच अलंघ्य दूरी पैदा हो चुकी है। ऐसे में सामाजिक दबाव का रास्ता ही असरदार हो सकता है।

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