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Mahayogi Gorakhnath : Sahitya Aur Darshan

560.00 476.00

ISBN: 978-81-934328-0-8
Edition: 2017
Pages: 288
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Prof. Govind Rajneesh

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Category:
महायोगी गोरखनाथ: साहित्य और दर्शन एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। प्रस्तुति प्रो. गोविंद रजनीश की है, जिन्होंने इसका संपादन भी किया है। प्रो. रजनीश गूढ़-गंभीर विषयों को सुगम रूप में व्यक्त-व्याख्यायित करने के लिए जाने जाते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने  भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ मनीषियों में से एक परमयोगी गोरखनाथ के निगूढ़ साहित्य और उसमें निहित दर्शन को संयोजित किया है। गोरखबानी के साथ उसका गद्यार्थ होने से पाठकों के लिए यह सामग्री कई दृष्टियों से पठनीय और संग्रहणीय बन पड़ी है।
प्रो. रजनीश ने ‘भूमिका के दो अध्याय’ के अंतर्गत गोरखनाथ के व्यक्तित्व और उनकी गुरु परंपरा पर विस्तार से लिखा है। एक व्यक्ति के रूप में योगी गोरखनाथ के जन्म-जाति आदि पर यह प्रामाणिक सामग्री है। प्रो. रजनीश ने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के ये वाक्य उद्धारत किए हैं, ‘गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े धर्मनेता थे।…उनका चरित्र स्फटिक के समान उज्ज्वल, बुद्धि भावावेश से एकदम अनाविल और कुशाग्र तीव्र थी।’ अध्याय 2 में ‘नाथ और सिद्ध’ शीर्षक से इन महान् परंपराओं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। साथ ही उस आभावलय को भी प्रकट किया गया जिसमें गोरखनाथ की अजेय अस्मिता चमकती है। प्रो. रजनीश के शब्दों में, ‘गोरखनाथ का काव्य दुरूह होकर भी उनके संबंध में असंख्य दंतकथाओं, लोककथाओं और प्रवादों का जुड़ जाना उनके प्रखर और प्रभावी व्यक्तित्व का परिचायक है।’
साखी (सबदी) और पद के अंतर्गत गोरखबानी को प्रस्तुत किया गया है। मूल के साथ सरल अर्थ भी है, जो पाठक के लिए उपयोगी है। गोरखनाथ के जीवन दर्शन को समझने के लिए इसका पाठ नितांत आवश्यक है। अनेक विद्वानों ने कबीर आदि परवर्ती संतों पर गोरखनाथ के प्रभाव का उल्लेख किया है, जो सर्वथा उचित है। गोरखबानी ज्ञानियों-ध्यानियों के लिए तो है ही, उसमें जीवन-व्यवहार के भी अमूल्य सूत्रा निहित हैं—
हबकि न बोलिबा, ठबकि न चलिबा, धीरे धरिबा पांव।
गरब न करिबा, सहजै रहिबा, यों भणत गोरखरायं।।
पुस्तक में दो परिशिष्ट हैं जो योगाधरिज  गोरखनाथ के विषय में बहुमूल्य सूचनाएं प्रदान करते हैं। प्राचीन भारतीय संस्कृति की योग-समृद्धि  और सिद्धि में रुचि रखने वालों तथा सामान्य तौर पर गोरखबानी के प्रेमियों के लिए एक अनिवार्य पुस्तक।
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