बुक्स हिंदी 

Sale!

Kuchh Samay Baad

180.00 153.00

ISBN: 978-81-88466-24-5
Edition: 2010
Pages:126
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Devendra Choubey

Category:
कुछ समय बाद
पहले कहानी-संग्रह से ही देवेन्द्र चौबे इस रूप में आश्वस्त करते नजर आते है कि वह मूलतः मानवीय संवेदनाओं के कथाकार हैं । ‘कुछ समय बाद’ की अधिकांश रचनाएं पाठक को विभ्रम से निकालकर यथार्थ से जोड़ने का काम करती हैं। ‘उत्तर-कथा’ के नेपाली के हों या ‘छोटे-छोटे सपने’ के करीमना के, कहानीकार पात्रों के जीवनानुभवों को समझते हुए उनके मन में उतर जाने की सामर्थ्य रखता है । कहीं वह मन की शांति की सच्ची खोज करता है तो कहीं व्यक्ति के सपनों के दरकने के कारणों की खोज करता नजर आता है ।
शहर और गाँव के बीच प्रभावित होते जीवन को तो देवेन्द्र अपनी कहानियों में  लाते ही हैं, सामूहिक राजनीतिक चेतना का विवेकशील स्फुरण भी यहीं मौजूद है, जो स्थानीय हितों को अदेखा नहीं करता । चरित्रों, स्थितियों और जीवन के विविध ऐसे प्रसंगों से कहानी की जमीन अपनी ही भाषा से तलाशना देवेन्द्र को भाता है, जो व्यक्ति के अनुभव को समृद्ध करते हुए उसे और अधिक संवेदनशील बनाते हैं । उनकी रचनाओं की यह सहज विशेषता है कि वे समाज के कोनों-अंतरों में चल रहे छोटे-छोटे महायुद्धों की टोह लेती नजर आती हैं । जीवन की सहजता यहाँ उसकी विसंगतियों के साथ मौजूद है ।
अव्यवस्थित और मनुष्य-विरोधी व्यवस्था पर कहानियों के जरिए कमेंट करना देवेन्द्र चौबे के कथाकार को अच्छा लगता है । अपनी पहली कहानी से ही जनतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था लिए यह कथाकार जब ‘सजा’ जैसी बड़ी कहानी पर पहुंचता है तो यह संकेत भी दे जाता है कि यथार्थ को पकड़ने के लिए दूरी भी कभी-कभी सहायक साबित होती है । सोवियत संघ के विघटन के बहाने लिखी गई यह कहानी गौरतलब तो है ही, गंभीर बहस भी आमंत्रित करती है ।
-महेश दर्पण
Home
Account
Cart
Search
×

Hello!

Click one of our contacts below to chat on WhatsApp

× How can I help you?