Description
उसका मानव हृदय चीत्कार कर उठा। अरे! यह तो किसी नवजात बच्चे का हाथ है, जो उसे दफनाने के बाद बाहर रह गया होगा।—उसकी ममता जाग उठी। वह पास गई और पुनः मिट्टी से ढकने लगी तो उसकी रूई सी मुलायम हथेली गरम लगी। उसने मिट्टी ढकने के बजाय उसे हटाना शुरू किया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसने देखा कि बच्चे का नन्हा सा हृदय धड़क रहा है।
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डॉक्टर के इस सवाल का कि फ्यह लड़का है या लड़की?य् अनिता और अजय कोई जवाब नहीं दे पाए। उनके लिए तो वह केवल जिदा दफनाया हुआ एक बच्चा था।
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बच्ची के रोने की गूँज ने सभी के हाथ का काम छुड़ा दिया। उसका प्रथम रुदन सुनते ही सब उसकी ओर दौड़ पड़े।
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कोई माँ जानबूझकर अपनी मरजी से अपनी कोख नहीं उजाड़ती। वह तो अपनी कोख से पैदा हुए साँप को भी अपने स्तनों से दूध पिलाती है। घर-परिवार के मुखिया पुरुषों के काफी दबाव के बाद कोई महिला ऐसे कुकृत्य के लिए स्वयं को तैयार कर पाती है।
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दहेज लोभी हृदयहीन लोग अपने घर की बहू को, एक जीते-जागते इनसान को जिदा कैसे जला देते हैं? ये लड़के वाले भारी-भरकम दहेज से शादी करते हैं या लड़की से?
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मुझे बताओ-पुरुष लोग भी पत्नी के मरने के बाद विधुर हो जाते हो तो तुम अपशकुनी क्यों नहीं होते? तुम्हारे बाल क्यों नहीं काटे जाते? तुम्हें जिदा क्यों नहीं सता किया जाता पत्नी की चिता के साथ?य् फ्वाह रे! तुम्हारी पितृसत्तात्मक अन्यायवादी, असमानतावादी समाज व्यवस्था, जो पुरुष को हर प्रकार की छूट देती है और महिला के हर कदम पर प्रतिबंध लगाती है। नहीं मानती मैं तुम्हारी यह व्यवस्था। ठोकर मारती हूँ मैं इसे।य् कहते हुए मयूरी क्रोध में काँपने लगी।
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अब तो हम महिलाओं ने फ्महिलाओं का, महिलाओं द्वारा, महिलाओं के लिएय् (टू दी विमेन, बाई दी विमेन, फोर दी विमेन) अलग से शांति धर्म बना लिया है, जिसके दरवाजे नारी को भी अपने समान एक इनसान मानकर चलने वाले समानतावादी पुरुषों के लिए सदा ही खुले हुए हैं।
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दूल्हा बारात लेकर इतराते हुए ‘ले जाएँगे दुल्हनियाँ’ जैसे गाने गाते हुए नहीं आएगा। अब न लड़की ससुराल जाएगी, न उसकी हृदयद्रावक विदाई होगी।
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एक निर्धारित स्थान पर विवाह के समय दूल्हा-दुल्हन दोनों हाथ पकड़कर एक साथ कदम मिलाते हुए चलेंगे। अभी तक चली आई परंपरा के अनुसार दुल्हन को दूल्हे के पीछे नहीं बाँधा जाएगा।
-इसी उपन्यास से
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