बुक्स हिंदी 

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Gauri

125.00 106.25

ISBN : 978-81-7016-357-2
Edition: 2014
Pages: 96
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Ajeet Kaur

Category:

गौरी धीरे-धीरे उठी। चावलों वाले कोठार के एकदम नीचे हाथ मारा और टोहकर एक छोटी-सी पोटली बाहर निकाल ली। धीरे-धीरे उस मैले-से चिथड़े की गांठें खोलीं। बीच में से दो बालियां निकालीं, जिनमें एक-एक सुर्ख होती लटक रहा था।
उसने बालियां कांसे की एक रकाबी में रखकर चूल्हे पर रख दीं। जो भी सुबह रसोई का दरवाजा खोलेगा, उसे सबसे पहले वही दिखेंगी और उससे कहेंगी, ‘इस घर में से एक ही चीज मुझे मिली थी, तुझे पैदा करने का इनाम। तूने उस जन्म को अस्वीकार कर दिया है। तूने उसी कोख को गाली दी है, जिसने तुझे अपने सुरक्षित घेरे में लपेटकर और अपना लहू पिलाकर जीवन दिया। ले ये बालियां। ये मैं तुझे देती हूँ। ये गाली हैं, तेरे जन्म पर, तेरे जीवन पर। गाली भी और बद्दुआ भी। ले ले इन्हें, बेचकर दारू पी लेना। मेरे बाप को जितने पैसे तेरे बाप ने दिये थे, वह आज मैंने तुझे लौटा दिए। और तीस साल फालतू तुझे और तेरे बाप को दे दिए। मुफ्त में। दान मे। ले मेरा दान और मेरी बद्दुआ, जो पृथ्वी के हर कोने तक तेरा पीछा करेगी।’
गौरी ने अपनी छोटी-सी कपड़ों की पोटली भी चूल्हे के पास रख दी और बाहर निकल आई।
पिछले आंगन का दरवाजा खोला और गली में बाहर निकल आई।
-इसी पुस्तक से

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