प्रस्तुत संग्रह की अधिकांश कहानियां सामाजिक जीवन में आए बदलावों को शिद्दत से रेखांकित करती हैं। विगत कुछ दशकों से जीवन-मूल्यों में बदलाव का जो क्रम शुरू हुआ था, वह अब अपने चरम पर है, जहां अब सब कुछ उलट-पुलट है, अस्त-व्यस्त है। लगता है आज का यथार्थ मनुष्य के पतन का चरम यथार्थ है। इस यथार्थ को इस संग्रह की कहानियां अलग-अलग रूप व अंदाज में व्यक्त करती दिखाई देती हैं। यहां पहाड़ का दर्द है तो बुजुर्ग पीढ़ी की पीड़ा भी। किसी भी रचना की विश्वसनीयता के मानक में यह शामिल होता है कि पाठक उसे लेखक के सच्चे अनुभव से प्रसूत मानता है और इस दृष्टि से भी ये कहानियां समर्थ सिद्ध होती हैं।
विधागत उपादानों की दृष्टि से सभी कहानियां ‘कहानीपन’ के तत्त्वों से भरपूर हैं, सुगठित हैं और अपनी परिणति तक पहुंचने में कामयाब लगती हैं। यहां प्रस्तुतीकरण का सरल अंदाज हैµन कोई पेंचोखम है, न निरर्थक वैचारिक द्वंद्व या दिखावटी बौद्धिक परचम है। कहानियों में सदा की तरह सीधी सरल भाषा है, बोलचाल का लहजा है और स्थानीयता की गंध भी।
प्रस्तुत है दिनेश पाठक की चौदह कहानियों का नया संग्रह एक नदी थी यहां।
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Ek Nadi Thi Yahan
₹300.00 ₹225.00
ISBN: 978-93-89663-19-8
Edition: 2021
Pages: 152
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Dinesh Pathak
Category: Stories
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