Description
हर परिवार चाहता है कि उसके बच्चे संस्कारवान बनें। संस्कार व्यक्ति के स्वभाव का संयोजन करते हैं और उसके व्यवहार में अन्य के समक्ष प्रगट होते हैं। संस्कारवान बनाने और बनने में माता-पिता, परिवार, और शिक्षा-व्यवस्था का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है, मगर इसकी अपनी सीमाएं भी हैं। एक ही माता-पिता के दो बच्चों के संस्कारों में भारी अन्तर हो सकता हैः जब कोई व्यक्ति किसी खास प्रकार से व्यवहार करता है, तो हम साधारण रूप से कह देते हैं, यह उसका स्वभाव है। लेकिन जब एक समाज विविध परिस्थितियों में एक खास प्रकार से अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करता है, तब हम कहते हैं, यह उस समाज की संस्कृति है। अंतर यह है कि एक व्यक्ति के व्यवहार की शैली को देखकर हम उसे उसका स्वभाव कहते हैं, और समाज के सन्दर्भ में हम उसे संस्कृति कहते हैं। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। कारण यह है कि व्यष्टि, समष्टि को प्रभावित करेगा ही, और समष्टि का प्रभाव भी व्यक्ति पर पड़ता ही है।