पंत्रों में एक ऊष्मा होती है जो उसके पढ़ने वालों को प्रभावित करती हैं संभवतः इसका एक कारण यह है कि पत्रों में लिखने वालों की तुरत-प्रतिक्रिया दर्ज होती हैं जैसा दिल ने महसूस किया, पत्रों में वसा ही लिखा गया। इसके अलावा पत्रों में लिखने वालों की निजी जिंदगी की बहुत-सी बातें आ जाती हैं जिनसे उनके व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है। ऐसी जानकारी अन्यत्र उपलब्ध नहीं होती। इसीलिए पत्र कितने भी पुराने हो जाएं, उनकी ताजगी और पठनीयता बनी रहती है। और अगर पत्र-लेखक कलाकार हो तो फिर कहना ही क्या। कलाकार अपने समय की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर नजर तो रखता ही है, उन पर टिप्पणियां भी करता चलता है। कलाकारों में भी अगर वह अमृतलाल नागर और रामविलास शर्मा हों तो समझिए सोने पर सुहागा। अलग-अलग विधाओं के यह दोनों महारथी कलाकार, साथ होने पर जुगलबंदी का समां पैदा करते थे। इसलिए इन दोनों के पत्रों का संग्रह तो होना ही था।
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Atra Kushlam Tatrastu
₹500.00 ₹425.00
ISBN: 978-81-7016-681-8
Edition: 2013
Pages: 318
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Dr. Vijai Mohan Sharma, Dr. Sharad Nagar
Category: Collection
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