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AKELAAPAN / अकेलापन

280.00 238.00

ISBN: 978-93-91797-05-8
Edition: 2021
Pages: 128
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Vijay Kumar Panday

Category:

इसी पुस्तक से एक कविता की कुछ पंक्तियाँ

अमावस्या में खड़ा अंध तस्तवीर।
आकृति ढूँढ़ने की चाहत में,
तर-बतर, निरापद हर पल,

नई राहें बनाए जा रही थी।

आऔँधें मुँह गिरता, कुचक्र का चक्र,
अनायास किसी के खातिर,

दिन-रात आत्मीयता से प्रयासरत,
नासमझ सी चिंताएँ सता रही थी।
अकेलापन के बोझ से मर्माहत ज़िंदगी,
नई राहों पर चलने को मजबूर,
नयापन की संघननता से पीडित,

बिना मंजिल के आगे बढ़ी जा रही थी।
उजाले की घंटी टटोलती शिराएँ,
अनवरत गुस्ताखियों से उलझकर,

हम सभी को प्रेरणादायी प्रवृत्तियों से
सिर लड़ाएँ जा रही थी।

उधार की ज़िदगी बनकर यह परछाई
मेहनताना प्रयासों से बढ़कर,

हकीकत में अकेलापन से जूझती

नई चित्रों गढ़ी जा रही थी।

संवेदना से जोड़ती संवेदनहीनों को,
अकेलापन के कटार से प्रहार करती,
मानवीय मूल्यों के अहाते में सुलगती,
नए जीवन के गीत लिखे जा रही थी।

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