Description
भ्रष्टाचार, बेईमानी और बढ़ते अपराधों के बीच अगर कहीं सच्चाई, ईमानदारी और निश्छलता नजर आती है तो वह है बच्चों की दुनिया। बच्चों की दुनिया में मन भी रमता है और जीवन की भागदौड़ में होने वाली थकान भी दूर हो जाती है। यही वजह है कि अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वाह करते हुए मैं बच्चों की इस दुनिया से भी बाहर नहीं निकल पा रहा हूं। हर साल जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चों से मिलना और फिर उनसे हुई बातचीत के आधार पर उनकी सत्या घटनाओं को कहानियों के रूप में पिरोना जैसे जीवन का एक अभिनन हिस्सा बन गया है।
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