उत्तर कोरिया सामाजिक या आर्थिक रूप में एक बहुख्यात देश तो नहीं है, लेकिन उसकी राजनीति और व्यवस्था की अपनी पहचान है। जापानी और अमेरिकी सामरिक शक्तियों के विरुद्ध रक्तिम संघर्षों ने उस देश को जख्मी जरूर किया है, लेकिन वहां अब स्थापित है आत्मविश्वास से भरपूर एक प्रगतिशील राष्ट्र। वहाँ सामान्य रूप में पर्यटकों के जाने की अनुमति अवश्य नहीं है, किंतु मित्र देशों के कुछ बुद्धिजीवी समय-समय पर आमंत्रित किए जाते रहे हैं। ऐसे ही एक अवसर पर कवि-कथाकार प्रणवकुमार वंद्योपाध्याय उत्तर कोरिया की यात्रा पर जाकर वहां के पहाड़ों, दरों, नगरों और गांवों में घूमते रहे। उस यात्रा की साहित्यिक फसल है शायद वसंत, जो अनौपचारिक डायरी के पन्नों से निकलकर अब प्रस्तुत है एक पुस्तक के रूप में
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शायद वसंत / Shaayad Vasant
₹100.00 ₹85.00
ISBN: 978-81-88125-07-4
Edition: 2002
Pages: 100
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Pranav Kumar Vandyopadhyay
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