‘जय, समय भी कभी-कभी कितना महत्वपूर्ण होता है। हमारे समक्ष अब मात्र तीन घंटों का अन्तराल है, सुबह होते ही मैं…।’
जय एक उसांस लेता है, ‘जानता हूं नीलू कि सुबह होते ही तुम एक नये प्रदेश की ओर चल दोगी। परायी बन जाओगी। पर परायी तो तुम अब से दो घंटे पूर्व ही हो गयीं नीलू, जब एक अनजाने, अनचीन्हे हाथ ने तुम्हारी मांग में सिन्दूर भर दिया और एक जाना-पहचाना हाथ वहीं कहीं कांपकर रह गया।’
‘जय!’ नीलिमा जैसे चिल्लाती है।
‘हां नीलू, बात तुम्हें गहरे काट रही होगी, पर सत्य तो फिर सत्य ही रहेगा। तुम समय की बात कर रही थी न? माना वह बहुत शक्तिशाली होता है, बहुत समर्थ। पर उसे शक्ति और सामथ्र्य हम-तुम ही तो प्रदान करते हैं। आज अगर तुमने अपने अछूते ललाट पर अनचीन्हे हाथें का अभिसार नहीं स्वीकार किया होता तो आगे के चार घंटों का यह अन्तराल हमारी पूरी जिंदगी का विस्तार होता…एकऐसी जिंदगी का, जिसके रूप को गढ़ने-संवारने की कल्पना में गत दो वर्षों का मेरा समय न जाने कैसे बीत गया।’
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शापित लोग / Shaapit Log
₹40.00 ₹34.00
Edition: 1994
Pages: 108
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Bhagwati Sharan Mishra
Out of stock
Category: Stories
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