असम में भागवत धर्म का प्रचार करने वाले शंकरदेव को ‘महात्मा’ और ‘महापुरुष’ की उपाधियों से अलंकृत कर आज भी स्मरण किया जाता है। उन्होंने जिस वैष्णव् धर्म का प्रवर्तन किया था, वह ‘महापुरुषीय धर्म’ कहलाता है। उनके असाधारण व्यक्तित्व के बारे में उनके शिष्य माधवदेव ने लिखा थाः-
श्रीमत शंकर गौर कलेवर, चन्द्रर येन आभास।
बृहस्पति सम पंडित उत्तम, येन सुर प्रकास।।
पद्मपुष्प समवदनप्रकाशे, सुंदर ईषत हाँसि।
गंभीर वचन मधु येन स्रवे, नयन पंकज पासि।।
-इसी पुस्तक से
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शंकरदेव / Shankar Dev
₹60.00 ₹51.00
ISBN: 978-81-88466-46-7
Edition: 2006
Pages: 56
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Hari Krishna Devsare
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