जब रांझलू को दूल्हा बना पालकी में बिठा बारात चलने लगी, तभी शोर मच गया-‘फुलमां ने जहर खा लिया।’ रांझलू के कानों में ये शब्द तीर-से लगे। वह झपटकर पालकी से उतर पड़ा। मां-बाप ने लाख रोका, अपशकुन का वास्ता दिया, पर रांझलू के लिए तो मानो प्रलय आ गई थी। वह भागता हुआ वहां जा पहुंचा जहां उसकी संगिनी बेजान लाश बनी पड़ी थी। बरसली आंखों और कांपते हाथों से उसने फुलमां की अरथी को कंधा दिया। श्मशान घाट में उसने अपने हाथों से उसे चिता पर रखा और जैसे कोई पति अपनी पत्नी को विदा करता है, वेसे ही अपनी लाल चादर उसे ओढ़ाकर उसने चिता को आग लगा दी। आज तक ऐसा न किसी ने देखा, न ही सुना था। रांझलू ने अपनी फुलमां को सबके सामने सुहागिन निा के भेजा। उसके गीत आज तक पहाड़ों में गाए जाते हैं।
-इस संग्रह की कहानी ‘फुलमां’ से
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टाहलियाँ / Taahliyan
₹110.00 ₹93.50
ISBN: 978-81-88122-20-2
Edition: 2010
Pages: 110
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Santosh Shailja
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Category: Stories
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