‘खोए हुए शब्द को, अभंग को, सृजनशक्ति को पुनः पाने की तुकाराम की बेचैनी अभूतपूर्व है जो उसे हर युग के कवि की बेचैनी के मिथक के रूप में खड़ा कर देती है। शब्द, सृजन और जिंदगी उनके लिए अलग-थलग नहीं, एक ही है। शब्द की इस कैफियत के साथ तुकाराम का मुझ तक पहुंचना इस कवि के एक नए पाठ के खुलने के बराबर है जिसके लिए एक क्या, कई नाटक लिखे जा सकते हैं।’
ये शब्द है डाॅ. नरेन्द्र मोहन के जिन्होंने अभंग-गाथा नाटक में तुकाराम की जिंदगी और अभंग-रचना को आज के दहकते हुए संदर्भों से जोड़ दिया है।
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अभंग-गाथा / Abhang-Gaatha
₹140.00 ₹119.00
ISBN: 978-81-88125-79-1
Edition: 2014
Pages: 92
Language: Hindi
Format: Paperback
Author : Dr. Narendra Mohan
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