Description
यहाँ से कहीं भी
‘सफ़री झोले में’ के बाद ‘यहाँ से कहीं भी’ अजितकुमार की यात्राओं का दूसरा संग्रह है । उनकी कविता ही नहीं, समीक्षा-कहानी-उपन्यास संरमरणादि के भी पाठक जानते है कि अजितकुमार विधाओं की जकड़बंदी म नहीं फंसते। लेखन उनके लिए कोई समर-भूमि नहीं, जहाँ जिरह-बख्तर से लेख वे लगातार तलवार भाँजने रहें या अंतरिक्ष-यात्री का लबादा ओढ़ लंबे सफ़र पर निकल पडे । वह उनके लिए संवाद का सरल माध्यम है, कभी-कभी तो अपने-आप में ही संवाद का। एक रंग के भीतर मौजूद तमाम रंग जैसे इंद्रधनुष में बिखर उठते है, कुछ-कुछ वैसा ही दृश्य— डायरी, टीप, रेखाचित्र, आत्मकथा, रपट, वार्ता जैसे बहुत कुछ को झलकाता यात्रावृत्तों में मिलेगा। जटिल या सरल, वह दृश्य जैसा भी है— यदि आपके लिए भी प्रीतिकर हुआ तो इम कामना की संभावना रहेगी कि जैसे उनके यात्रा-दिन बहुरे, वैसे आपके भी बहुरें ।
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