Description
अंतहीन बनती समस्याओं के खिलाफ मानवीय संघर्ष की विजयगाथा का जीवंत उपन्यास। जीवन की सकारात्मक चेतना और अपराजेय मानवीय जिजीविषा का सार्थक उद्घोष। ग्रामीण जीवन की जमीनी सच्चाई का बेबाक चित्रण। चुनिया और जोखन के रूप में अविस्मरणीय चरित्रों का सृजन। हिंसा, द्वेष और नफरत के विरुद्ध सहज मानवीय संबंधों की स्थापना। गहन मानवीय संवेदनाओं का दस्तावेज। हिन्दी उपन्यास के समकालीन दौर में कलावाद और यथार्थवाद के द्वंद्व को पाटने वाला एक मजबूत सेतु। एक तरफ भाषा की रवानगी और खिलंदड़पन तो दूसरी तरफ जमीनी सच्चाइयों का अंकन। भाषा, शिल्प और कथ्य के स्तर पर एक सशक्त कृति। बींसवी शताब्दी का एक स्तरीय और यादगार उपन्यास।
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