Description
‘परसाई और शरद जोशी के बाद, हिंदी व्यंग्य-लेखन को कई अर्थों में नई ऊंचाइयां, नई दिशा और नई पहचान देने वाले ज्ञान चतुर्वेदी ने इतना विपुल और बहुआयामी लेखन किया है कि कुछ आलोचक पिछले तीन दशकों के हिंदी व्यंग्य लेखन के वर्तमान समय को “ज्ञान चतुर्वेदी युग’ का नाम दे चुके हैं। सात बेहद चर्चित और लोकप्रिय उपन्यास, बारह व्यंग्य-संग्रह, हजार से ज्यादा फुटकर व्यंग्य-लेख और व्यंग्य कथाएं, सालों तक हिंदी के महत्वपूर्ण अखबारों व पत्रिकाओं में नियमित व्यंग्य स्तंभ और बेहद अलग से चर्चित संस्मरण रचकर ज्ञान चतुर्वेदी ने हिंदी साहित्य में न केवल अपना अप्रतिम स्थान बनाया है, बल्कि वर्तमान में सक्रिय युवा पीढ़ी और समकालीन व्यंग्य लेखन को एक नई परंपरा भी सौंपी है। निरंतर कुछ नया, अलग और बेहतरीन लिखना, हर नई रचना में स्वयं के रचनाकर्म को अतिक्रमित करना ही ज्ञान चतुर्वेदी को न केवल हिंदी, वरन विश्व की अन्य भाषाओं के बड़े लेखकों की पंक्ति में महत्वपूर्ण स्थान देता है। परसाई के बाद के हिंदी व्यंग्य को नए तेवर, भाषा, कहन, विषय, प्रयोग और क्राफ्ट से समृद्ध करने वाले ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने निरंतर उत्कृष्ट व्यंग्य लेखन (विशेषतौर पर अपने उपन्यासों) द्वारा सिद्ध किया है कि व्यंग्य केवल राजनीतिक विषयों के आसपास मंडराते रहने का ही नाम नहीं है, इसमें पारिवारिक जीवन, मानवीय संबंधों, गहरी आत्मिक संवेदनाओं, बाजार की दुरभिसंधियों, सामाजिक बुनावट के गहरे अंतर्विरोध भी उतनी ही शिद्दत से आ सकते हैं जैसे वे कविता और कथा लेखन में आते रहे हैं। ज्ञान चतुर्वेदी ने व्यंग्य लेखन के दायरे को वहां तक बढ़ाया है जहां जीवन अपने सतरंगी अंदाज में मौजूद है और मौजूद हैं उसकी विडंबनापूर्ण विसंगतियां भी। पिछले लगभग पचास वर्षों से उनका अटूट और मनुष्य के लिए प्रतिबद्ध लेखन अपने पाठकों, आलोचकों और साहित्य के गंभीर अध्येताओं को चमत्कृत करता रहा है। “व्यंग्य समय’ में ज्ञान चतुर्वेदी के चयनित व्यंग्य उनके विस्तृत व्यंग्य लेखन से कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। पाठकों को रचनाकार को समग्रता में पढ़ने और पुन: पाठ के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य भी इस उपक्रम में निहित है।