Description
लगभग आधी सदी पहले डा. रमेश दत्त शर्मा ने विज्ञान संबंधी विषयों पर लिखना शुरू किया था और जल्द ही वे विज्ञान से जुड़े हर महत्त्वपूर्ण विषय पर लिखने लगे। अब तक हिंदी की शीर्षस्थ पत्रिकाओं में हजार से अधिक श्रेष्ठ रचनाएं उनकी छप चुकी हैं, लेकिन रचनाओं के छपने से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण उन रचनाओं का पढ़ा जाना है। विज्ञान को अकसर नीरस विषय कहा जाता है, लेकिन डा. रमेश दत्त शर्मा का लेखन किसी भी दृष्टि से नीरस नहीं कहा जा सकता। छात्रा भले ही वे विज्ञान के थे, पर साहित्य से हमेशा जुड़े रहे। स्वभाव से कवि तो थे ही, इसलिए उनके लेखन में एक ऐसी रंजकता है, जिसमें पाठकों को भीतर तक छूने और उनका मन जीत लेने की अद्भुत विशेषता रही है। गंभीर वैज्ञानिक विषयों को रोचक कहानी की तरह परोसना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन रमेश जी ने यह काम प्रस्तुत पुस्तक में बड़ी आसानी से किया है। ‘विज्ञान नवनीत’ ढंगदार लेखों का संकलन है, जो देश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे। यह संयोग भी है कि पुस्तक के बहुत से लेख ‘नवनीत’ में छपे थे। अपनी इस पुस्तक के शीर्षक के साथ लेखक ने लिखा है—‘विज्ञान को मथकर निकाली गई लुभावनी लोनी। बड़ी स्वादिष्ट होती है लोनी। देर तक जीभ पर स्वाद बना रहता है। ऐसा ही स्वाद इन लेखों का भी है।’ प्रस्तुत पुस्तक में संगृहीत लेखों से यह बात सहज ही समझ आ जाती है कि लेखक सिर्फ लिखना ही नहीं चाहता, कुछ सार्थक रचना चाहता है। सार्थकता की गंध इस पुस्तक के हर पन्ने पर अनुभव की जा सकती है।