-20%

वंशवृक्ष / Vanshvriksha

650.00 520.00

ISBN : 978-81-88118-27-4
Edition: 2010
Pages: 292
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Bhairappa

Compare
Category:

Description

कन्नड़ के विख्यात उपन्यासकार भैरप्पा ने प्रस्तुत उपन्यास में वंशावली के आदि और जटिल प्रश्नों पर आधारित जिस गहन एवं मर्मस्पर्शी कथा का ताना-बाना बुना है, वह भारतीय मनीषा की प्रश्नाकुलता की ऊर्जा है और हमारी वंशीय परंपरा का राग-अनुराग एवं विराग भी। जीवन के लिए निर्धारित लक्ष्यों को अर्जित कर लेना, अपने ‘वंश’ को आगे बढ़ाने का स्वस्थ संकेत है, अथवा संतति के माध्यम से ही वंशीय परंपरा का वहन सहज संभव हो सकता है—अपने उपलक्ष्य में यह कृति इन प्रश्नों से जूझती है। वंशजों के रक्त-संबंधों की शुचिता की आशंकाएं तथा सरोकार भी इस कथा में जहां-तहां तैरते हुए नए भावबोध और अवधारणाओं से हमारा सामना कराते हैं। एक अंचल विशेष का वर्णन होते हुए भी यह कृति अखिल भारतीय या कहें कि वैश्विक मनोजगत् की प्रतिनिधि रचना है जो जीवन के संबंधों, संयोगों और सहभावों से संरचित है। जीवनगत निर्णयों के उद्दाम स्रोतों से प्रस्फुटित कई जीवनलीलाओं के तटों को निर्धारित और ध्वस्त करती इस कथा में लेखक के द्वंद्वों को स्वर देने का काम उसके नायक करते हैं तथा मानो यह सब घटित होते हैं पाठक के साथ। कृति, कृतिकार और पाठक के त्रिकोण का यह अंतरंग संबंध ‘वंशवृक्ष’ की एक अन्य तथा अन्यतम उपलब्धि है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “वंशवृक्ष / Vanshvriksha”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Vendor Information

  • 5.00 5.00 rating from 11 reviews
Back to Top
X

बुक्स हिंदी