Description
यह युग विज्ञान का है। पूरा विश्व विज्ञान की उपलब्धियों, क्षमताओं, संभावनाओं और आवश्यकताओं से चमत्कृत है। विज्ञान की तमाम शाखाओं-प्रशाखाओं का अध्ययन करने के लिए जो पाठ्य सामग्री तैयार होती है वह मूलतः अनुवाद पर ही निर्भर है।
जाहिर है कि वैज्ञानिक साहित्य का अनुवाद अत्यंत विशिष्ट होता है। अत्यंत कठिन भी। निश्चित पारिभाषिक शब्दावली, सुनिश्चित अर्थबोध, व्यापक संकेत पद्धति आदि के कारण वैज्ञानिक साहित्य का अनुवाद करते समय किसी को भी सूचना और ज्ञान के साथ सटीक शब्दावली का अभ्यास होना अपेक्षित है। प्रस्तुत पुस्तक ‘वैज्ञानिक साहित्य के अनुवाद की समस्याएं और उनका समाधान’ में इसी विषय के अनेक पक्षों पर विचार किया गया है। यह वस्तुतः प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की सामग्री की हिंदी में अनुवाद की समस्याओं का लेखा-जोखा है। प्रस्तुत पुस्तक का संपादन डॉ- भोलानाथ तिवारी तथा वैश्विक मान्यता प्राप्त विद्वान् डॉ- जयन्ती प्रसाद नौटियाल ने किया है। इसमें विषय के अनेक अधिकारी विद्वानों के लेख शामिल हैं।
संपादक के शब्दों में, ‘जब भी वैज्ञानिक साहित्य का अनुवाद किया जाता है तो प्रायः हमें कुछ शब्द नए बनाने पड़ते हैं या संस्कृत से या ड्डोत भाषा अंग्रेजी से या अन्य भाषाओं, बोलियों से लेने पड़ते हैं। इस तरह हमारी भाषा की वैज्ञानिक शब्दावली में वृद्धि होती है—।’ एक बेहद जरूरी पुस्तक।