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त्रिया हठ / Triya Hath

300.00 195.00

ISBN : 978-81-7016-748-8
Edition: 2020
Pages: 166
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Maitreyi Pushpa

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Category:

Description

नदी के पाट पर खड़ी मीरा को वह पुकार रहा था। यहाँ मीरा उदासी, मलिन मनोगति और अपनी कुंठाओं को लिए चली आई थी। किससे कहती कि उससे देवेश का सामना हुआ, मातृत्व-सा जागा, मगर संवाद हुआ तो यकायक उल्लास का रंग बदल गया। ममता बदरंग हो गई। सोच रही हूँ कि सारी की सारी कहानी बताकर सच्चाई सामने धर दी जाए। लेकिन कहानी क्या दो दिन की है ? एक जिंदगी की कथा कई जिंदगियांे कोे समेटे रहती है। पहेली जैसी कहानी नहीं कि उत्तर तुरंत मिल जाए।
अभी तो इतना ही कहा जा सकता है कि देवेश, हम अपनी आदतांे के गुनहगार हैं, जिनके चलते बड़ों की आज्ञा भगवान् के आदेश की तरह मानते चले आए हैं। जिनके सामने न तर्क किया जा सकता है, न शंकाएँ उठाई जाती हैं। विरासत में यही परंपरा तो हमें मिली थी। उसी के पालन में यहाँ तक भी चली आई, क्यांेकि मामा हमारे संरक्षक रहे हैं, पालनहार। कृतज्ञता से मँुह मोड़ना हमें अपराध ही नहीं, पाप लगता है। तुम्हारी तरह मुँह में आया सो बक दिया, यह हमने सीखा नहीं, क्योंकि इसे हमारे यहाँ बेहूदापन कहते हैं।
-इसी पुस्तक से

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