Description
तीसरा गजल शतक में विभिन्न मुड़ों, विभिन्न शैलियों, विभिन्न जीवनदृष्टियों के पच्चीस कवियों का समावेश है, जिसे गजल के प्रेमी-पाठक आत्मीयता से ग्रहण करेंगे। इनमें भी अश्वघोष, देवेन्द्र आर्य, किशन स्वरूप, दिनेश सिंदल, पुरुषोत्तम प्रतीक, सुरेन्द्र सिंघल अपनी संभावनाओं के साथ उभरकर सामने आए हैं। लक्ष्मीशंकर वाजपेयी गजलें तो कहते ही हैं गजल के एक उत्साही प्रवक्ता भी हैं। अनेक गोष्ठियों में व्यक्त होने वाले उनके गजल संबंधी विचार श्रोताओं को सोचने-समझने को मजबूर करते हैं।