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स्वस्थ अस्वस्थ लोग / Swastha Aswastha Log

300.00 255.00

ISBN : 978-93-84788-49-0
Edition: 2018
Pages: 152
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Hridyesh

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Category:

Description

स्वस्थ अस्वस्थ लोग हृदयेश का बारहवां उपन्यास है। उपन्यास का असल मूल्यांकन तत्त्व उसकी काया का विस्तार या दीर्घता न होकर उसकी गहराई है जो प्रस्तुत उपन्यास में है—यथेष्ट है। हृदयेश अपने कथानक को अपने सुपरिचित परिवेश से उठाते ही नहीं हैं उसी के ताने-बाने से उसको बुनते, गूंथते और रचते हैं। इस उपन्यास में भी उनका अपना कस्बेनुमा शहर शाहजहांपुर है जो उनका धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र रहा है। सुविज्ञों की मान्यता है कि उपन्यास जहां और जिस समय की गाथा कहता है वही उसका देशकाल है। उपन्यास की विशिष्टता इसमें है कि वह क्या स्वस्थ है और क्या अस्वस्थ इसको विभिन्न कोणों व तमाम संभव रंगों व शेड्स के परिप्रेक्ष्य में देखता व परिभाषित करता हुआ मूल कथ्य के स्वर और संदेश का सफर दूर तक करता-कराता है, अपने देशकाल से भी परे जाकर।
‘मैला आंचल’ जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता रेणु का मानना था, ‘साहित्यकार को चाहिए कि वह अपने परिवेश को संपूर्णता और ईमानदारी से जिए। वह अपने परिवेश से हार्दिक प्रेम रखे क्योंकि इसी के द्वारा वह अपनी जरूरत के मुताबिक खाद प्राप्त करता है। इस प्रेम का मतलब यह कदापि नहीं है कि वह अपने संदर्भों की विषमताओं और असंगतियों पर दृष्टिपात न करे। वह परिवेश से प्रेम इसलिए करे कि वह उसके मूल्यों के साथ ही उसकी विषमताओं और असंगतियों से खुलकर और गहरा परिचय प्राप्त कर सके। दोनों प्रकार के चित्रण का औचित्य ही साहित्यिक ईमानदारी कहा जाएगा। लेखक के संप्रेषण में ईमानदारी है तो रचना सशक्त होगी ही होगी।’ संप्रेषण की इस ईमानदारी पर (विशेष संदर्भ कथ्य का भाग बना कवि सम्मेलन की फूहड़ता और भदेसपन) प्रस्तुत उपन्यास सौ टंच खरा उतरता है।
उपन्यास की विशिष्टता यह भी है कि इसका अंत पूरे उपन्यास में सकारथ उजास भर देता है।

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