Description
मानव जीवन की प्राप्ति अकारण नहीं है। संसार में घटित होने वाली प्रत्येक घटना का ईश्वर ने एक विधान निश्चित किया हुआ है। वह अटल और अकाट्य है। चौरासी लाख योनियों में विचरती जीवात्मा का मानव योनि में प्रवेश दुर्लभ संभावनाओं के द्वार अनावृत करता है। परमात्मा ने मात्र मनुष्य को ही चिंतन और उन्नयन की सामर्थ्य से युक्त किया है। वह स्व हित स्वयं अर्जित करने योग्य होता है। सिख धर्म दर्शन ने मानव हित को रेखांकित कर जीवन उद्देश्य के रूप में स्थापित किया। यह उद्देश्य था विभिन्न योनियों में आवागमन से मुक्ति और जीवात्मा का परमात्मा में सम्मिलन। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी जीवन उद्देश्य को स्पष्ट करने वाली और उसे प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करने वाली है। इसी में जीवन का सुख और गति निहित है। कर्म मनुष्य को करना है किंतु प्राप्ति परमात्मा की कृपा बिना संभव नहीं।