Description
नई पीढ़ी के हिंदी और समाजविज्ञान के आलोचकों के इस संकलन को लेकर चर्चित लेखिका डाॅ. अनामिका का मानना है कि ‘युवा आलोचकों का यह समधीत संस्कृति विमर्श इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे एक नहीं, कई लोचन झांक रहे हैं।… यह एक ज्वाॅएण्ट स्टेटमेंट है, एक तरह का घोषणा-पत्र, जिसके नीचे हस्ताक्षर भर नहीं हैं, बल्कि हर हस्ताक्षर के बगल में एक सुविचरित टिप्पणी भी है।’
इधर साहित्य आर विचारधारा की दुनिया मंे जो बदलाव आए हैं, उनका गंभीर आकलन इस पीढ़ी के आलोचकों ने किया हैं यह पुस्तक उन सभी को आकर्षित करेगी जो हिंदी साहित्य और समाजविज्ञान की दुनिया में दिलचस्पी रखते हैं और उनके बीच एक बेहतर तालमेल को जरूरी समझते हैं।