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रोशनी में छिपे अंधेरे / Roshani Mein Chhipe Andhere

250.00 212.50

ISBN : 978-93-83234-21-9
Edition: 2014
Pages: 144
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Gurudeep Khurana

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Category:

Description

शुभ्रा उसकी आंखों में देखते हुए धीरे से बोली, “नहीं दीप, ऐसी बात तुम्हारे मुंह से अच्छी नहीं लगती। अगर हालात ऐसे बने हैं तो इसमें शहर का क्या दोष। ऐसे दया भाई तो कहीं भी हो सकते हैं। कब, कहां ऐसा जहर भर दें, कुछ नहीं कह सकते। बहुत दिन नहीं ठहरेगा यह जहर। देखना, जल्दी सब नार्मल हो जाएगा।”
“मुझे तो लगता है इस दौरान नफरत के जो बीज बो दिए गए हैं उनका असर पुश्तों तक चलेगा।”
“यह तो है। नफरत फैलाने में घड़ियां लगती हैं और मिटाने में सदियां।”
“बिलकुल ठीक।”
“वैसे मैं एक बात और भी कहना चाहती हूं…कह दूं?”
“जरूर!”
“देखो दीप, घृणा केवल वही नहीं जो दया भाई जैसे लोग फैला रहे हैं…घृणा वो भी है जो तुम्हारे मन में पल रही है दया भाई के प्रति।”
“कहना क्या चाह रही हो?”
“यही कि वह घृणा भी कम घातक नहीं। मैं तो सोचती हूं…उन लोगों के बारे में भी घृणा से नहीं, प्यार से भरकर सोचो। आखिर वे कोई अपराधी तत्त्व नहीं। अपनी तरफ से वे जो भी कर रहे हैं राष्ट्रहित में कर रहे हैं। बस, दिशा भटक गए हैं। बहके हुए लोग हैं वे।…”
—इसी पुस्तक से

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