Description
डॉ. कृष्णा सिंह का कहानी संग्रह रिश्तों के दंश पाठकों के समक्ष उन प्रश्नों को रखता है जिन्हें लेकर हिंदी कथा साहित्य में आज भी ऊहापोह की स्थिति हे। तेरह कहानियों के इस संग्रह में लेखिका ने स्त्री से जुड़े कुछ मूलभूत प्रश्नों को उठाया है और उसके आलोक में पुरुष नजरिए के फर्क को रेखांकित किया है। दंश झेलती स्त्री के संघर्षों, उसके अनुभवों और सत्य का खुलासा बड़े दुस्साहस से किया है ताकि समाज को उसकी त्रासद स्थिति का पता चल सके। इनकी कहानियों में स्त्री-मन की व्यथा है, टूटते दांपत्य को बचाने के लिए सामंजस्य की खोज हे तो स्त्री के उज्ज्वल चरित्र की दृढ़ता आत्मिक बल देती है जो दूषित मन की स्त्रियों पर करारा थप्पड हे।
नई कहानी की वैचारिकता को स्त्री-जीवन के मूल्यों और सरोकारों के साथ समझने में यह संग्रह अहम भूमिका निभाएगा, ऐसी संभावना दिखती है। बिना लाग-लपेट के सीधी-सादी भाषा-शैली का प्रयोग लेखिका की अपनी विशेषता है, जो नई कहानी की कथ्य-चेतना के धरातल पर खरा उतरता है।
प्रस्तुत कहानी संग्रह नई कहानी में अपेक्षित स्थापत्य की उत्कृष्टता और पवित्रता के महत्त्वपूर्ण बिंदु को रेखांकित करता है।