Description
यहां ऋग्वेद के मंत्रों की व्याख्याएं उसे सर्वथा नवीन परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत कर रही हैं, जिनसे आज का ‘कम्प्यूटर-सेवी’ युवा किसी भी स्थिति में निरपेक्ष नहीं रह सकेगा। पारंपरिक ज्ञान की अमूल्य धरोहर उसके हाथों में रखने का प्रयास है यह पुस्तक। भौतिकवाद की चमक, उपभोक्तावाद की ललक दोनों के सामने प्राचीनतम सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने का आधार ही पुस्तक की पृष्ठभूमि में रहा है। क्रीड़ा, योग, ध्यान, हंसी जैसे विषयों के मंत्र उसे प्रोत्साहित करने के लिए हैं। युवा शक्ति ही भावी राष्ट्र एवं मानवता को संवारेगी-यह विश्वास है। हां, उसे समझना होगा कि जीवन में भौतिक सुविधाएं ही सब कुछ नहीं। संपूर्ण विकास के लिए शारीरिक-मानसिक स्वास्थ के साथ बौद्धिक एवं आध्यात्मिक स्वस्ति-भाव भी जरूरी है।